नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती, ऐसे में हमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन शिक्षा के श्रेष्ठ तत्वों को समाहित करते हुए भविष्य के लिये शिक्षा का मिश्रित मॉडल विकसित करने की जरूरत है । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ओ पी जिंदल विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित विश्व विश्वविद्यालय शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा, शिक्षा का अर्थ सिर्फ व्याख्यान देना ही नहीं है बल्कि छात्रों की स्वतंत्र सोच और रचनात्मकता को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती । वेंकैया नायडू ने कहा, हमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन शिक्षा के श्रेष्ठ तत्वों को समाहित करते हुए भविष्य के लिये शिक्षा का मिश्रित मॉडल विकसित करने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि हमें कृत्रिम बुद्धिमता और वृहद डाटा का उपयोग करते हुए प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा प्रदान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि वेदों एवं उपनिषदों के समृद्ध इतिहास के साथ हमें एक बार फिर दुनिया की ज्ञान राजधानी या विश्वगुरू बनने का प्रयास करना चाहिए ।
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती, ऐसे में हमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन शिक्षा के श्रेष्ठ तत्वों को समाहित करते हुए भविष्य के लिये शिक्षा का मिश्रित मॉडल विकसित करने की जरूरत है । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ओ पी जिंदल विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित विश्व विश्वविद्यालय शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा, शिक्षा का अर्थ सिर्फ व्याख्यान देना ही नहीं है बल्कि छात्रों की स्वतंत्र सोच और रचनात्मकता को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा, कक्षा में प्रदान की जाने वाली पारंपरिक शिक्षा पद्धति का विकल्प नहीं हो सकती । वेंकैया नायडू ने कहा, हमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन शिक्षा के श्रेष्ठ तत्वों को समाहित करते हुए भविष्य के लिये शिक्षा का मिश्रित मॉडल विकसित करने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि हमें कृत्रिम बुद्धिमता और वृहद डाटा का उपयोग करते हुए प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा प्रदान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि वेदों एवं उपनिषदों के समृद्ध इतिहास के साथ हमें एक बार फिर दुनिया की ज्ञान राजधानी या विश्वगुरू बनने का प्रयास करना चाहिए ।