रायपुर। वीरांगना रानी दुर्गावती द्वारा मातृभूमि के लिए किए गए त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। वे वास्तव में शक्ति की प्रतीक थी, उन्होंने उस समय अपने दुश्मनों के खिलाफ अपनी सेना को संगठित किया और उनके दांत खट्टे कर दिए। मुगलों के खिलाफ अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई। उन्होंने वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में कहा कि महिलाओं के प्रति सम्मान भाव रखें और उन्हें सशक्त बनाएं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने इस अवसर पर वीरांगना रानी दुर्गावती को नमन करते हुए कहा कि रानी दुर्गावती का जन्म दुर्गाष्टमी के दिन हुआ था, इसलिए उसका नाम दुर्गावती रखा गया। उनका विवाह गढ़ मंडला के शासक राजा दलपत शाह से हुआ, लेकिन कुछ समय बाद राज दलपत की आकस्मिक निधन हो गया, जिसके बाद रानी दुर्गावती ने अपने पुत्र को गद्दी में बिठाकर सत्ता की बागडोर अपनी हाथों में ली। उसके बाद सेना को सुगठित स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने प्रशासनिक संरचना सुदृढ़ की और जन कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। इससे उनकी प्रसिद्धि दिन-ब-दिन बढ़ती गई। राज्यपाल ने कहा कि मुगल राजा अकबर के समय उनके राज्य पर हमला किया गया, मुगल सेना के शक्तिशाली होने के बावजूद उन्होंने युद्ध करने का फैसला किया और दुश्मनों का मजबूती से सामना किया। इस युद्ध में रानी दुर्गावती विजयी रही। कुछ समय बाद उनके राज्य पर मुगल शासकों द्वारा फिर से आक्रमण किया गया। इस आक्रमण में रानी दुर्गावती और उनकी सेना ने वीरता से लड़ाई लड़ी, परन्तु उन्हें कुछ कारणों से उनकी सेना कमजोर पड़ने लगी, उसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारा और अंतिम सांस तक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई।