रायपुर। कोरोना महामारी के समय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से सरकार के कान खड़े हो गये हैं। आगे ऐसी विरोध की संभावना खत्म करने के लिए प्रदेश में गुरुवार 15 अप्रैल 2021 से आवश्यक सेवा संधारण और विच्छिन्नता निवारण कानून (एस्मा) लागू कर दिया गया है। यह कानून स्वास्थ्य, स्वच्छता, बिजली, जल आपूर्ति और सुरक्षा सेवा में लगे कर्मचारियों पर लागू होगा। इसके बाद सरकारी आदेश की नाफरमानी अथवा कार्य बहिष्कार जैसी स्थितियों में जेल भी हो सकती है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए एस्मा का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके उल्लंघन पर कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। गृह विभाग के संयुक्त सचिव एन.डी. कुंदानी की ओर से जारी आदेश में विभाग ने 10 सेवाओं पर एस्मा के प्रावधान लागू किये हैं। उन सेवाओं में समस्त स्वास्थ्य सुविधाएं, डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी, स्वास्थ्य संस्थानों के सफाई कर्मी, मेडिकल उपकरणों की बिक्री, संधारण और परिवहन में लगे हुये लोग, दवाओं की बिक्री, संधारण और परिवहन में लगे हुये लोग और एम्बुलेंस सेवा प्रमुख है। अधिकारियों ने बताया, इस कानून के लागू हो जाने के बाद हड़ताल जैसी स्थितियों में कर्मचारी को जेल हो सकती है। उसकी सेवा भी समाप्त की जा सकती है। सरकार ने पानी और बिजली की आपूर्ति, सुरक्षा संबंधी सेवाएं, खाद्य एवं पेयजल प्रावधान एवं प्रबंधन से जुड़े लोग और बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन से जुड़े लोगों को भी एस्मा के दायरे में रखा है। यह सभी सेवाएं स्वास्थ्य और लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ी हुई है। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 28 मार्च 2020 को आवश्यक सेवाओं पर एस्मा लगाया था। यह कई महीनों तक लागू रहा। कोरोना का प्रकोप थोड़ा कम होने के बाद इन प्रतिबंधों को उठा लिया गया था। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद सरकार को एक बार फिर इस कानून को प्रदेश में प्रभावी कर दिया गया है।