रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजधानी रायपुर के पंडरी स्थित छत्तीसगढ़ हाट बाजार परिसर में 22 फरवरी से आयोजित राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने प्रदर्शनी के आयोजन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लोगों को सुगमतापूर्वक स्व-रोजगार से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने में खादी तथा ग्रामोद्योग की अहम भूमिका होती है। इसे ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार छत्तीसगढ़ के गांव-गांव तक इसका विस्तार कर गांधी के ग्राम स्वराज्य के सपना को साकार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि खादी का नाम लेते ही पूज्य बापू गांधी जी का स्मरण होने लगता है। गांधी जी ने स्वयं खादी को अपनाकर तथा चरखा चलाकर हर व्यक्ति को स्व-रोजगार से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इसके माध्यम से संदेश दिया कि स्वावलंबी बनने के लिए हर व्यक्ति के हाथ में काम होना चाहिए। उनके इस संदेश में पवित्रता, स्वावलंबन तथा आत्मविश्वास के भाव स्वतः प्रस्फुटित होते है। इसका अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ में गरीब, मजदूर, किसान सहित हर वर्ग के व्यक्ति की उन्नति के लिए जनकल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन कर उन्हें भरपूर लाभ दिलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामोद्योगों के संरक्षण और बढ़ावा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके तहत राज्य में ग्रामोद्योगों के उत्पादों की सहज बिक्री के लिए ‘सी-मार्ट‘ खोले जाएंगे। इसे छत्तीसगढ़ में ही नहीं अपितु देश के अन्य बड़े-बड़े शहरों में भी खोला जाएगा। इसी तरह राज्य के गांवों में बनाये जा रहे गौठानों में से प्रत्येक गौठान में एक-एक एकड़ जमीन रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ‘रिपा‘ के लिए आरक्षित रहेंगे। जो ग्रामीणों के लिए आजीविका के महत्वपूर्ण केन्द्र साबित होंगे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के लिए तेलघानी, चर्मकार, रजक तथा लौहकार बोर्ड की भी स्थापना की जाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समग्र उत्थान के लिए हमारी सरकार द्वारा सतत् रूप से कार्य किए जा रहें है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति को भी पुनर्जीवित कर उसके संरक्षण व संवर्धन के लिए भरपूर कार्य किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा में खादी तथा ग्रामोद्योग का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इससे लोगों को अधिक से अधिक जोड़कर उनको आगेे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में गौठानों से अब तक लगभग 70 हजार महिलाएं जुड़कर अपने-अपने व्यवसाय के सफल संचालन में जुटी हुई है। कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेन्द्र तिवारी ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी खादी वस्त्रों एवं ग्रामोद्योग उत्पादों के व्यवसाय की संभावनाओं को तलाशने और इससे जुड़े बुनकर एवं अन्य उद्यमियों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में काफी मद्दगार होगी।
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