नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारत और बांग्लादेश के बीच फेनी नदी पर बने मैत्री सेतु का उद्घाटन किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मैत्री सेतु का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि मैत्री सेतु के खुल जाने से अगरतला, अंतरराष्ट्रीय समुद्री बंदरगाह से भारत का सबसे नज़दीकी शहर बन जाएगा। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण से जुड़़ी जिन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है, उनसे पूर्वोत्तर का बंदरगाह से संपर्क और सशक्त होगा। मोदी ने कहा कि 2107 में त्रिपुरा की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताकर डबल इंजन की सरकार बनाई आज वह पुरानी सरकार के 30 साल और डबल इंजन की तीन साल की सरकार में आए बदलाव को स्पष्ट अनुभव कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती वामपंथी शासन में त्रिपुरा में जहां कमीशन और भ्रष्टाचार के बिना काम होने मुश्किल थे, वहां आज सरकारी लाभ लोगों के बैंक खाते में सीधे पहुंच रहा है। उन्होंने कहा, जो कर्मचारी समय पर सैलरी पाने के लिए भी परेशान हुआ करते थे, उनको सातवें वेतन आयोग के तहत सैलरी मिल रही है। जहां किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अनेक मुश्किलें उठानी पड़तीं थीं, वहीं पहली बार त्रिपुरा में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित हुई। उन्होंने कहा कि जिस त्रिपुरा को हड़ताल की संस्कृति ने बरसों पीछे कर दिया था, आज वो व्यवसाय की सुगमता के लिए काम कर रहा है और जहां कभी उद्योगों में ताले लगने की नौबत आ गई थी, वहां अब नए उद्योगों और नए निवेश के लिए जगह बन रही है। इस अवसर पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का एक वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया। कार्यक्रम में त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब भी उपस्थित थे। फेनी नदी त्रिपुरा और बांग्लादेश में भारतीय सीमा के बीच बहती है। इस सेतु का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड ने किया है। इस पर 133 करोड़ रुपये की लागत आई है। 1.9 किलोमीटर लंबा यह पुल भारत में सबरूम को बांग्लादेश के रामगढ़ से जोड़ता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और परस्पर संपर्क बढ़ेगा। मैत्री सेतु के उद्घाटन से बंगलादेश के चट्टोग्राम बंदरगाह तक पहुंचने के लिए त्रिपुरा, पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन गया है। यह सबरूम से केवल 80 किलोमीटर की दूरी पर है।