रायपुर। 1 मार्च 2021 को छत्तीसगढ़ की विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार का तीसरा और छत्तीसगढ़ राज्य का 21वां वार्षिक बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2021-22 का यह बजट में 97 हजार 106 करोड़ का है। बजट में युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करने, किसानों को अच्छी सुविधा और उनकी उपज का लाभ दिलाने, गांव को समृद्ध करने, छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जीवंत बनाये रखने, कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने समेत सभी वर्ग और विषय का ख्याल रखा है। विशेषकर शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरी के लिए भी रोडमैप तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री ने बजट भाषणा में ऊंचाई के अग्रेजी उच्चारण हाईट का जिक्र किया और इसके एक-एक शब्द यानि एच, ई आई, जी, एच और टी का तात्पर्य बजट से संदर्भित करते हुए उसके मायने को विस्तार से समझाया। एच का तात्पर्य हॉलिस्टिक डेवलपमेंट यानि समग्र विकास, ई का तात्पर्य एजुकेशन, आई का तात्पर्य इन्फ्रास्ट्रक्चर, जी का तात्पर्य गवर्नेंस, एच का तात्पर्य हेल्थ, टी का तात्पर्य ट्रांसफार्मेंशन यानि बदलाव बताया गया है। बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है जहां परम्परागत व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन एवं विपणन की सुविधा प्रदान की जायेगी। छत्तीसगढ़ के स्थानीय कृषि उत्पादों जैसे ढेकी का कूटा चावल, घानी से निकला खाद्य तेल, कोदो, कुटकी, मक्का से लेकर सभी तरह की दलहन फसलें, विविध वनोपज जैसे इमली, महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, शहद एवं फूलझाड़ू इत्यादि व वनोपज से निर्मित उत्पाद तथा टेराकोटा, बेलमेटल, बांसशिल्प, चर्मशिल्प, लौहशिल्प, कोसा सिल्क तथा छत्तीसगढ़ी व्यंजनों जैसी सभी सामग्रियों को एक ही छत के नीचे विपणन की सुविधा प्रदान की जायेगी। इसके लिये राज्य एवं राज्य के बाहर सी-मार्ट स्टोर की स्थापना की जायेगी, जो विशिष्ट छत्तीसगढ़ी ब्राण्ड के रूप में मशहूर होंगे। योजना के माध्यम से स्थानीय उत्पादकों को अधिक लाभांश दिलाने की व्यवस्था भी की जायेगी। किसानों को शून्य ब्याज दर पर 5 हजार 900 करोड़ का अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। ब्याज अनुदान के भुगतान हेतु वर्ष 2021-22 में 275 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 5 हजार 703 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। बस्तर संभाग के 7 आदिवासी बहुल जिले एवं मुंगेली जिले से चयनित कुल 14 विकासखण्डों में पोषण सुरक्षा तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु चिराग योजना के लिए 2021-22 के बजट में 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है। कृषक जीवन ज्योति योजना अंतर्गत कृषि पम्पों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय हेतु 2 हजार 500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। योजना में लगभग साढ़े 5 लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा। कृषि पम्पों के ऊर्जीकरण के लिये डेढ़ सौ करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है। सौर सुजला योजना अंतर्गत हमारी सरकार के गठन के पश्चात अब तक 31 हजार 712 सोलर पंपों की स्थापना की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिये 530 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। फसल बीमा योजना में 606 करोड़, कृषक समग्र विकास योजना में 81 करोड़, कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान एवं नि:शुल्क वितरण हेतु 95 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं शाकम्बरी योजना में 123 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बहुवर्षीय फलोद्यान, 4 हजार 500 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन तथा 13 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती हेतु अनुदान देने का लक्ष्य रखा गया है। उद्यानिकी फसलों के लिए 2021-22 में 495 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया है। गोठानों को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए गोधन न्याय योजना प्रारंभ की गई है। गोठान समितियों द्वारा पशुपालकों से 2 रू. किलो की दर से गोबर क्रय हेतु 80 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। स्व सहायता समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है। वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे हैं। इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो चुकी है। गोठान योजना के लिये वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मत्स्य पालन हेतु उपलब्ध जल क्षेत्रों में से 95 प्रतिशत क्षेत्र को विकसित करके 2 लाख से अधिक मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 79 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु इसे कृषि के समान दर्जा दिये जाने की कार्यवाही की जायेगी। वर्ष 2021-22 के बजट में मत्स्य पालन की गतिविधियों के लिये 171 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है। यह सारे प्रावधान छत्तीसगढ़ के गांवों को समृद्ध करेंगे। ग्रामीण क्षेत्र के परम्परागत कर्मकारों के लिए बजट में विशेष ध्यान रखा गया है। बजट में राज्य के परम्परागत ग्रामीण व्यवसायिक कौशलों के पुनरूद्धार एवं कर्मकारों को सहयोग प्रदान करने के लिए तेलघानी विकास बोर्ड, चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड एवं रजककार विकास बोर्ड की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है। कोसा उत्पादन एवं कोसा वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। वर्तमान में कोसा उत्पादन एवं वस्त्र निर्माण के कार्यों में 50 हजार से अधिक हितग्राहियों को रोजगार से जोड़ा गया है। हाथकरघा वस्त्र बुनाई के माध्यम से 60 हजार परिवारों को रोजगार मिल रहा है। लाख पालन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए ब्याज रहित ऋण की सुविधा प्राप्त करने के लिये लाख पालन को भी कृषि के समकक्ष दर्जा प्रदान किया गया है। असंगठित श्रमिक सुरक्षा एवं कल्याण मण्डल अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक से संबंधित आंकड़ों के आॅनलाईन संधारण तथा विभिन्न योजनाओं का त्वरित लाभ पहुंचाने की दृष्टि से विभिन्न एप्प निर्माण एवं राज्य स्तरीय हेल्प डेस्क सेन्टर की स्थापना हेतु नवीन मद में प्रावधान रखा गया है। असंगठित श्रमिकों, ठेका मजदूरों, सफाई कामगारों एवं घरेलू कामकाजी महिलाओं के कल्याण की योजना में 61 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राज्य बीमा अस्पताल योजना में 56 करोड़ तथा कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालयों हेतु 48 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। राजीव किसान न्याय योजना का दायरा भूमिधारी कृषकों से आगे बढ़ाने के लिये ग्रामीण कृषि भूमिहीन श्रमिकों को सहायता हेतु नवीन न्याय योजना प्रारंभ की जायेगी।