रायपुर। स्वयंसेवी शिक्षक साक्षरता कक्षा में प्रौढ़ों के सुख-दुख के सहभागी बनें। उनके आत्मसम्मान की रक्षा करें तथा उन्हें पूरे सम्मान और विश्वास में लेते हुए उनके ही ज्ञान और अनुभव से साक्षरता का पाठ पढ़ाएं। असाक्षर पढ़े नहीं है, लेकिन गढ़े जरूर हैं, ऐसी बात यू-ट्यूब चौनल के माध्यम से पढ़ना-लिखना अभियान के नोड़ल अधिकारी सहायक संचालक प्रशांत पाण्डेय ने प्रदेशव्यापी दो दिवसीय उन्मुखीकरण के अंतिम दिन कही। उन्मुखीकरण में मुख्य रूप से स्टेट सेंटर फॉर लिट्रेसी की सदस्य डॉ. मंजीत कौर ने प्रौढ़ो के सीखने की पद्धति एवं वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सत्यराज अय्यर ने डिजिटल माध्यम से पढाई को रोचक बनाने के विषय पर विस्तार से जानकारी दी। अरपा पैरी के धार….महानदी हे अपार राज्य गीत से उन्मुखीकरण के अंतिम दिन का शुभारंभ किया गया। श्री पाण्डेय द्वारा पहले दिन लिये गये सत्र पढ़ना लिखना अभियान के परिचय, स्वयंसेवी शिक्षकों की भूमिका तथा कक्षा संचालन पर पुनरावलोकन स्वरूप अपनी बात रखी। डॉ. मंजीत कौर ने कहा कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि बच्चे और प्रौढ़ के सीखने का तरीका अलग-अलग होता है। चूंकि वे स्कूल नहीं जाते इस कारण पढ़ाई से उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। प्रौढ़ो के पास पहले से ही ज्ञान का भंडार है। हमें उनके ही ज्ञान और अनुभव को जानते हुए साक्षरता के विषयवस्तु को भलीभांति स्पष्ट करना हैं। साक्षरता कक्षा को रोचक बनाने के लिए समूह कार्य, ज्ञानवर्द्धक फिल्म, चर्चा, केसस्टडी (कहानी), खेल, अभ्यास को शामिल किया जाए। वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सत्यराज अय्यर ने इस अभियान के लिए डिजिटल माध्यम के उपयोग पर जानकारी देते हुए बताया कि डिजिटल व टेक्नोलॉजी के युग में कार्य कर रहे हैं। कोविड-19 ने मोबाईल से दोस्ती करा दी है। मोबाईल के माध्यम से व्हाट्सएप, टेलीग्राम, यूट्यूब का उपयोग शिक्षार्थियों के सीखने में अधिक-से-अधिक करना है। जहां नेटवर्क की परेशानी हो वहां पहले से ही विषयवस्तु को डाउनलोड कर लिया जाये और ब्लूटूथ के माध्यम से आदान-प्रदान करें। जॉयफूल लर्निंग के लिये एप का उपयोग करें। इसमें प्लीकर्स, गुगल बोलो एप, गुगल एजुकेशन, गुगल अक्षर आदि महत्वपूर्ण शिक्षा एप का प्रयोग करें। कक्षा में परीक्षा या असाईनमेंट का कम उपयोग हो गेम एवं एक्टीवीटी के जरिये शिक्षार्थियों की परीक्षा ली जाए। सहायक संचालक दिनेश टांक ने प्रौढ़ शिक्षा में शिक्षार्थियों का वातावरण निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कक्षा में लोकगीत तथा शिक्षार्थियों के साथ बातचीत के जरिये पाठ प्रारंभ करें। मसूर बाना ढेकी बाजे………धान बिना खट लें …. गाकर वातावरण निर्माण के उदाहरण प्रस्तुत किए। ज्ञातव्य हो कि इस अवसर पर जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण रायपुर के रिसोर्स पर्सन चुन्नीलाल शर्मा ने स्वयंसेवी शिक्षकों की भूमिका को स्पष्ट किया और सेंट्रल कॉलेज आफ एजुकेशन की प्राध्यापक धारा यादव ने कक्षा संचालन विषय पर अपनी बात रखी। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण की परियोजना सलाहकार निधि अग्रवाल ने कक्षा को कैसे रोचक, आकर्षक बनाएं एवं वातावरण निर्माण पर पॉवरपाइंट प्रस्तुति दी। सुनील राय ने पंजीयन की प्रक्रिया की जानकारी दी। परियोजना सलाहकार नेहा शुक्ला ने एप, पोर्टल एवं यूट्यूब में शामिल की गई ई-सामग्री को विस्तार से समझाया। इस अवसर पर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण की टीम में ममता श्रीवास, महेश कुमार वर्मा का विशेष योगदान रहा तथा सतीश सोनकर ने टेक्नीकल सहयोग प्रदान किया।