Home मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई

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भोपाल। लगातार हो रही बारिश ने मध्यप्रदेश की सूरत बिगाड़ दी है। सबसे ज्यादा हालात होशंगाबाद में बिगड़े। यहां 33 घंटे में 17 इंच बारिश हो गई। नर्मदा खतरे के निशान से 13 फीट ऊपर बह रही हैं। नर्मदा का जलस्तर शनिवार रात 10 बजे तक 983 फीट पर पहुंच गया। यह खतरे के निशान से 19 फीट ऊपर है। होशंगाबाद में 20 से ज्यादा बस्तियां 5 फीट पानी में डूब चुकी हैं। इसके अलावा 52 जिलों के में शनिवार को एक साथ बारिश हुई। प्रदेश में अब तक एक दिन की सामान्य बारिश 0.42 इंच से 397% ज्यादा पानी बरस चुका है।

सेना का रेस्क्यू 10 गांव में जारी है। करीब 15 घंटे से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा जा रहा है। मौसम केंद्र द्वारा भोपाल, उज्जैन, होशंगाबाद, रायसेन, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, दमोह, सागर, बुरहानपुर, खंडवा, बड़वानी, धार, इंदौर, रतलाम, देवास, नीमच एवं मंदसौर में आॅरेंज अलर्ट और सीहोर, विदिशा, छिंदवाड़ा, राजगढ़, शाजापुर, आगर जिले के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। इस बीच, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ के हालात पर चर्चा के लिए हाई लेवल मीटिंग बुलाई है।

भोपाल में बारिश से दीवार गिरी, एक की मौत

बारिश के कारण भोपाल के कोलार इलाके में रविवार शाम एक मकान की दीवार गिर गई। इसके मलबे में दबकर एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हैं। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। पुलिस ने मलबे को हटाने के लिए जेसीबी मशीन लगाई है। मृतक की उम्र करीब 45 साल बताई जाती है। बारिश के कारण कोलोर का दामखेड़ा सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है।

सिवनी में उद्घाटन से पहले ही बह गया वैनगंगा नदी पर बना 300 मीटर लंबा पुल

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 9 करोड़ की लागत से वैनगंगा नदी पर बना 300 मीटर लंबा पुल बारिश में बह गया। पुल का उद्घाटन होना बाकी है, लेकिन इसका इस्तेमाल शुरू हो गया था। जिले के सुनवारा गांव में एक महीने पहले ही बनकर तैयार हुआ था। लोग निर्माण एजेंसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं।

प्रदेश में बाढ़ से स्थिति खराब

मुख्यमंत्री शिवराज ने बताया कि 9 जिलों के 394 से ज्यादा गांवों में बाढ़ ने तबाही मचाई है।
एयरफोर्स के तीन हेलिकॉप्टर रेस्क्यू में जुटे हैं। तीन अन्य हेलिकॉप्टर रविवार को आएंगे।
सीहोर में सेना के चार और रायसेन में दो कॉलम (एक कॉलम में इंजीनियर्स-टेक्नीशियनों समेत 70 जवान) तैनात किए गए हैं।
होशंगाबाद में भी सेना मोर्चे पर है। यहां 2500 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया।
प्रदेश में अब तक 29.72 इंच बारिश होनी थी, लेकिन 32.6 इंच पानी बरस गया।

होशंगाबाद: बस्तियों में पानी, सड़क पर चली नाव
नर्मदा के घाटों के दोनों ओर करीब 500-500 मीटर के क्षेत्र में 4 से 5 फीट पानी भर गया। रात 12 बजे तक स्थिति यह थी कि सड़कों पर पानी भर जाने के कारण होमगार्ड ने नाव भी चलाई। इसमें कई इलाकों में नाव से लोगों को रेस्क्यू कर निकाला। 1973 में घाटों की पिचिंग में दरार आने के कारण 30 अगस्त को नर्मदा का जलस्तर 987 फीट को पार कर गया था। बाढ़ का पानी डेढ़ किमी अंदर तक घुस आया था।

इंदौर: 6 घंटे में 2 इंच बारिश, सालभर की जरूरत का पानी बरस गया
शनिवार को इंदौर की जरूरत का पानी बरस गया। सुबह से शुरू हुई बारिश रात साढ़े आठ बजे तक 2 इंच (51 मिमी) रिकॉर्ड हुई। इसे मिलाकर 35 इंच पानी बरस गया। पिछले साल की तरह इस बार भी जरूरत से बहुत ज्यादा पानी गिरने के आसार हैं। इस वक्त औसत 32 फीसदी ज्यादा पानी गिर चुका है। सितंबर में भी अच्छी बारिश के आसार हैं।

बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम मप्र में कैसे करा रहा बारिश, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला से सवाल-जवाब

ये सिस्टम कब और कहां बनता है ?

यह सिस्टम सामान्य तौर पर बंगाल की खाड़ी में बनता है। जब साइक्लोन या कोई सिस्टम कमजोर होकर प्रशांत महासागर से बंगाल की खाड़ी में आता है तो वहां यह तीव्र होता है, फिर यह लो प्रेशर एरिया के रूप में बदल जाता है। कभी-कभी यह बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बनकर आ जाता है।

मप्र में कैसे पहुंचा यह सिस्टम?

ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ होता हुआ पूर्वी मध्य प्रदेश आया। फिर सीधी पहुंचा, इसके बाद शनिवार को टीकमगढ़ के आसपास रहा। इसका सेंट्रल एमपी यानी भोपाल, होशंगाबाद और जबलपुर संभागों में ज्यादा असर हुआ। इसी से होशंगाबाद, छिंदवाड़ा में बाढ़ के हालात बने। भोपाल, सीहोर में देर रात तक लगातार बारिश होती रही।

यह कहां-कितनी बारिश कराता है?

जब पूर्वी मध्य प्रदेश में रीवा से लेकर जबलपुर तक जहां प्रवेश करेगा उस स्थान पर यह निर्भर करेगा कि बारिश कहां और कितनी होगी। जहां कम दबाव का क्षेत्र बनता है वहां से लगभग 200 से 400 किमी के बीच दक्षिण पश्चिम दिशा में सबसे ज्यादा बारिश होती है।

भोपाल में इससे बारिश कैसे?

जब यह सिस्टम सागर के आसपास केंद्रित होता है या पहुंच जाता है और वहां ठहर जाता है तो भोपाल में सबसे ज्यादा बारिश कराता है।