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नारायण पटेल ने विधायक पद से इस्तीफा दिया

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मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक बार फिर से झटका लगा है। खंडवा के मांधाता से विधायक नारायण पटेल ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने इसे स्वीकार कर लिया है। पटेल ने शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन कर ली। शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई।
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि मान्धाता से विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा परिवार का हिस्सा बने नारायण पटेल का हार्दिक स्वागत है। उन्होंने जब भी अपने क्षेत्र के हित से जुड़े विषय कांग्रेस सरकार के समक्ष रखे, उनका तिरस्कार किया गया। आप अब हमारे परिवार का हिस्सा बने हैं। जिसमें जनता का हित सर्वोपरि है।
मेरा कोई स्वार्थ या शर्त नहीं, विकास के लिए भाजपा साथ: नारायण पटेल
सदस्यता लेने के बाद पूर्व विधायक नारायण पटेल ने कहा कि मैं आज भाजपा परिवार में शामिल होकर खुशी महसूस कर रहा हूं। कांग्रेस सरकार के 15 महीनों के शासन में कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे थे, दूसरी तरफ देश और प्रदेश में भाजपा सरकारों के काम करने की शैली अलग है। मध्यप्रदेश में शिवराज ने विकास की गंगा बहाई है। मेरे अपने क्षेत्र में भी भाजपा सरकार ने अनेक विकास कार्य और परियोजनाएं शुरू की हैं। उसी को देखते हुए मैंने स्वेच्छा से भाजपा की सदस्यता ली है।

नहीं संभल रहे कांग्रेस विधायक

मध्य प्रदेश में इसी महीने ये तीसरे विधायक हैं, जो भाजपा ज्वाइन करने जा रहे हैं। इससे पहले 24 विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। 15 दिनों के अंदर कांग्रेस को यह तीसरा बड़ा झटका है। नारायण पटेल के इस्तीफे के साथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या अब 89 रह गई है। प्रदेश में कांग्रेस के विधायक संभल नहीं रहे हैं। कमलनाथ लगातार विधायकों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हुए हैं। उसके बावजूद इस्तीफों का दौर थम नहीं रहा है। भाजपा नेता लगातार कह रहे हैं कि कांग्रेस के कई विधायक लाइन में लगे हुए हैं। नारायण पटेल का बुधवार से ही फोन बंद था।

15 दिन के अंदर तीन इस्तीफे
प्रदेश कांग्रेस को 15 दिन के अंदर यह तीसरा बड़ा झटका है। इससे पहले छतरपुर जिले की बड़ामलहरा सीट से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर विधायक सुमित्रा कासडेकर पार्टी छोड़ चुकी हैं। उसके बाद कमलनाथ ने भोपाल में विधायकों की बैठक भी की थी। लेकिन, उसका असर नहीं दिख रहा है। बैठक के 3 दिन बाद ही एक और विधायक ने इस्तीफा दे दिया।

27 सीट पर होंगे उपचुनाव
अब प्रदेश में 27 सीटें खाली हो गई हैं। प्रदेश में 25 विधायकों के इस्तीफे से कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है। पार्टी के अब 89 विधायक हैं। वहीं, भाजपा के पास 107 विधायक हैं। भाजपा को पूर्ण बहुमत के लिए अब सिर्फ 9 विधायकों की जरूरत है।

दो सीटें विधायकों के निधन होने से खाली

मुरैना जिले की जौरा सीट से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का 21 दिसंबर 2019 को निधन हो गया था। इसी साल 30 जनवरी को आगर-मालवा से भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल का भी बीमारी के कारण निधन हो गया।

यह विधायक पहले छोड़ चुके हैं कांग्रेस

इमरती देवी, राजवर्धन सिंह, रक्षा सरोनिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रनवीर जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव, मनोज चौधरी, एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, प्रभुराम चौधरी, जजपाल सिंह जज्जी, सुरेश धाकड़, कमलेश जाटव, तुलसी सिलावट, बृजेंद्र सिंह यादव और हरदीप सिंह, कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी कासडेकर भी भाजपा में आ गई थीं।

विधानसभा में स्थिति

मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं।
इनमें 22 पहले ही इस्तीफा दे चुके। 2 का निधन हो चुका।
27 सीटें खाली होने से विधानसभा में कुल 203 सदस्य।
कांग्रेस के अब 89 विधायक हैं।
भाजपा के पास 107 विधायक हैं।
4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक