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भोपाल में कोरोना संक्रमण फैलने के 83 दिन में 89 मौत

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भोपाल। कोरोना संक्रमण के 83 दिन में अब तक 89 मौतें हो चुकी हैं। इसमें 48 गैस पीड़ित हैं, जबकि उनके तीन बच्चे भी शामिल हैं। मरने वाले में 40 से 60 साल तक के मरीज है। 31 मौतें हमीदिया अस्पताल में हुई हैं, बाकी एम्स और चिरायु में हुई हैं। चार गैस पीड़ितों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हुई। 16 गैस पीड़ित ऐसे हैं, जिनकी मौत इलाज के दौरान 24 घंटे के अंदर हो गई है। जबकि, 15 मरीजों की मौत भर्ती होने के 2 से 5 दिन के भीतर हो गई है। 12 मौतें 6 से 22 दिन के अंदर हुई हैं।
ये हकीकत गैस पीड़ित संगठनों द्वारा तैयार की गई डेथ एनालिसिस रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, मृतकों में 36 पुरुष और 12 महिलाएं थी। हैरत वाली बात ये है कि कि गैस पीड़ित कैसे और कहां से संक्रमित हुए। इसके बारे में उनके परिजन को जानकारी नहीं है। इसका पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अफसर कॉन्टेक्ट सोर्स का पता लगाने में जुटे हैं।

स्वास्थ्य विभाग का तर्क- इम्यून सिस्टम कमजोर होने से हुई मौत

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि गैस पीड़ितों में दूसरी कोई न कोई बीमारी थी। इसके चलते उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाने के चलते उनकी मौत हो गई। कई मरीज तो ऐसे भी थे जिनको लंबे समय से डायबिटीज थी। लेकिन उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ये भी मौत का कारण बना। गैस पीड़ितों में 27 की मौत हमीदिया अस्पताल में हुई है। वहीं तीन की एम्स, चिरायु अस्पताल में 13 और निजी अस्पताल में एक गैस पीड़ित की मौत हुई है। इसमें चार मरीजों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई है।

मृतकों की अस्पताल में भर्ती होने की तीन अवधि

16 गैस पीड़ित ऐसे हैं, जिनकी मौत इलाज के दौरान 24 घंटे के अंदर हो गई।
15 मरीजों की मौत भर्ती होने के 2 से 5 दिन के भीतर हो गई है।
12 गैस पीड़ितों की मौतें 6 से 22 दिन के अंदर हुई हैं।
इन गैस पीड़ित संगठनों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

हमारी मांग है कि हाई रिस्क वाले गैस पीड़ितों की पहले ही सैंपलिंग की जाए
भोपाल जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हमारी मांग है कि हाई रिस्क वाले गैस पीड़ित जिनको कैंसर और अन्य तरह की गंभीर बीमारियां हैं। उनकी सैंपलिंग कैंप लगाकर किया जाए। ताकि उनको समय पर इलाज मिल सके और उनको मरने से बचाया जा सके। इसमें यदि देरी की गई तो बड़ी संख्या में गैस पीड़ितों की जान जा सकती है। सैंपलिंग होने से समय पर गैस पीड़ितों में कोरोना हुआ है या नहीं इसका पता लगाया जा सकता है। समय पर इलाज होने से हजारों जिंदगी बचाई जा सकती है।