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झीरम मामले में नया मोड़, परिजनो ने एसआईटी से जांच की मांग की

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रायपुर। झीरम नक्सली हमले में मारे गए नेताओं के परिजनों ने कांग्रेस भवन में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए बड़ा आरोप लगाया है। परिजनों ने कहा कि झीरम हमला बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र था, जिसमें लीपापोती हुई है। एनआईए ने गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ नहीं की, जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। एनआईए राजनीतिक लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है जबकि राज्य सरकार एसआईटी जांच करना चाहती है, लेकिन एनआईए राज्य सरकार ने फाइल नहीं सौंप रही है।
दिवंगत नेताओं के परिजनों में जितेंद्र मुदलियार, तूलिका कर्मा, मोहम्मद साहिद, हर्षित शर्मा, दौलत रोहड़ा रायपुर पहुंचे हुए हैं. कांग्रेस भवन में प्रेस कांफ्रेंस कर जितेंद्र मुदलियार ने कहा कि कांग्रेस के यात्रा से पहले नक्सली घटना हुई थी। राजनीतिक नरसंहार नक्सलियों के माध्यम से कराया गया, जिसमें नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, विधानसभा अध्यक्ष महेंद्र कर्मा समेत तमाम कांग्रेस के नेताओं की हत्या कर दी गई।
इस हमले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी, लेकिन एनआईए ने ठीक से जांच नहीं की, कोई बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र था जिसमें लीपापोती हुई है। इस तरह जांच की है कि जैसे ये साधारण नक्सली घटना है। जानबूझकर सुरक्षा बलों को कम किया गया। केंद्र ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया, लेकिन प्रदेश की जनता को नहीं बताया कि केंद्र ने इनकार किया है, उन्होंने कहा कि एनआईए ने अपनी जांच शुरू होने की घोषणा की थी, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति की गई। गिरफ्तार किए लोगों से पूछताछ नहीं की गई, एनआईए राजनीतिक लोगों को बचाने पर जुटी हुई है।
उन्होंने कहा कि जब यात्रा निकाली तब सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी क्यों नहीं की गई। यह जांच का विषय है। उस समय महेंद्र कर्मा जेड प्लस सुरक्षा की श्रेणी में आते थे, फिर भी सुरक्षा में कोताही बरती गई। जिस दिन ये घटना घटी हमने कहा था ये आपराधिक राजनीति षड्यंत्र है, जिसकी सही जांच चाहते है। राज्य सरकार भी इस मामले में एसआईटी जांच चाहती है, इसलिए एसआईटी जांच होनी चाहिए।