नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अध्यक्ष अनिल बैजल ने अरविंद केजरीवाल के उस फैसले को बदल दिया है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के निवासी नहीं होने पर मरीज का इलाज अब राज्य सरकार के अस्पतालों में नहीं होगा। उप राज्यपाल ने निर्देश दिया है कि दिल्ली के अस्पतालों में किसी को भी मना न किया जाए, जो भी इलाज के लिए आएं उसका इलाज किया जाए।
दरअसल, इससे पहले केजरीवाल सरकार ने कहा था कि बाहरी लोगों का इलाज अब राज्य सरकार के अस्पतालों में नहीं होगा। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में अब सिर्फ दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा। केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र वाले अस्पतालों जैसे एम्स समेत अन्य में कोई भी मरीज इलाज करा सकता है।
केजरीवाल ने बताया था कि दिल्ली कैबिनेट ने फैसला लिया है कि राज्य सरकार के अस्पताल अब दिल्ली के लोगों के लिए होंगे। केंद्र सरकार के अस्पताल में कोई भी इलाज करा सकता है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों के अस्पतालों में 10,000-10,000 बेड हैं।
सीएम केजरीवाल ने बताया था कि मार्च के महीने तक दिल्ली के सारे अस्पताल पूरे देश के लोगों के लिए खुले रहे, इस दौरान हमारे दिल्ली के अस्पतालों में 60 से 70 फीसदी लोग दिल्ली से बाहर के थे, लेकिन कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे में आप की सरकार बेड का इंतजाम कर रही है।
दिल्ली के उपराज्यपाल और DDMA अध्यक्ष अनिल बैजल ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दिल्ली के निवासी नहीं होने के आधार पर किसी भी रोगी को चिकित्सा उपचार से इनकार नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा दिल्ली एलजी ने दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल द्वारा कोविड-19 के लिए सिर्फ लक्षणों वाले मामलों को टेस्ट करने के आदेश की जगह ICMR गाइडलाइंस के अनुसार बिना लक्षण वाले मामलों को भी टेस्ट करने का आदेश दिया है।
उन्होंने एसिंप्टोमैटिक मरीजों की टेस्टिंग फिर से शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोरोना के एसिंप्टोमैटिक मरीजों की टेस्टिंग पर रोक लगा दी थी, लेकिन एलजी ने ऐसे सभी लोगों की टेस्टिंग अब फिर से शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है।