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डोनाल्ड ट्रम्प ने नरेंद्र मोदी को अमेरिका में होने वाली जी-7 समिट में आने का न्योता दिया

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मंगलवार को फोन पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन सीमा विवाद और अमेरिका में अश्वेत नागरिक के मारे जाने के बाद शुरू हुई हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नरेंद्र मोदी को अमेरिका में होने वाली जी-7 समिट में आने का न्योता भी दिया है।

डब्ल्यूएचओ में सुधार पर भी मोदी-ट्रम्प में चर्चा

पीएमओ के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में जारी हिंसक घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है और उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि डोनाल्ड ट्रम्प जल्द से जल्द हालात को संभालने का रास्ता ढूंढ लेंगे। दोनों नेताओं के बीच कोरोनावायरस संकट, भारत-चीन सीमा विवाद और वर्ल्ड हेल्थ आॅर्गनाइजेशन में सुधारों को लेकर भी चर्चा हुई।

भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने क्या कहा था?
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो बार भारत और चीन के विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत का दावा किया और यह भी कहा था- भारत और चीन के बीच एक बड़ा टकराव चल रहा है। मैं नरेंद्र मोदी को बहुत पसंद करता हूं। अगर मुझसे मदद मांगी जाती है तो मैं यह (मध्यस्थता) करूंगा।
अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश पर भारत और चीन ने क्या कहा?
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा था- भारत और चीन आपसी बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने में सक्षम हैं। थर्ड पार्टी की कोई जरूरत नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी थी। मंत्रालय ने कहा था कि पड़ोसी के साथ मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी हैं।

मोदी ने दूरदर्शिता और हालत को वक्त रहते भांपने को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प की तारीफ की। मोदी ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ काम करके खुशी है। डोनाल्ड ट्रम्प ने भी मोदी को जी-7 समिट में आने का न्योता दिया और मोदी ने इस समिट की सफलता के लिए ट्रम्प को शुभकामनाएं दी हैं।

क्या है जी-7?

जी-7 सात बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है। इसमें फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप आॅफ सेवन भी कहा जाता है। ये सभी देश आपसी हितों के मामलों पर चर्चा के लए हर साल मिलते हैं।

डब्ल्यूएचओ से क्यों खफा हैं डोनाल्ड ट्रम्प?
अमेरिका पहले ही डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोक चुका है। अब डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ के साथ सभी रिश्ते खत्म करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हम डब्ल्यूएचओ के कोटे का फंड स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली किसी दूसरी संस्था को देंगे।

ट्रम्प ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ पर चीन का पूरा नियंत्रण है। चीन उसे 4 करोड़ डॉलर देता है और अमेरिका एक साल में 45 करोड़ डॉलर की मदद देता है। दोनों ने हमारी मांग नहीं मानी, इसलिए हम डब्ल्यूएचओ से संबंध खत्म कर रहे हैं।