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वित्त मंत्री ने कहा – कोयला क्षेत्र में सरकार की मोनोपॉली खत्म होगी, कमर्शियल माइनिंग की इजाजत देंगे

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के संकट से उबरने के लिए प्रधानमंत्री के बताए 20 लाख करोड़ के पैकेज के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को चौथी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर का मतलब ये नहीं कि हम दुनिया से अलग हो जाएं। कई सेक्टर को पॉलिसी से जुड़ी गतिविधियों की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। इसके बाद वित्त मंत्री ने लगातार चार दिन इसका ब्रेकअप दिया। शनिवार को उन्होंने 8 सेक्टर- कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, एयर स्पेस मैनेजमेंट, एयरपोर्ट्स, मेंटेनेंस एंड ओवरहॉल, केंद्र शासित प्रदेशों में पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा पर बात की।
कई सेक्टरों को पॉलिसी से जुड़ी गतिविधियों की जरूरत

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद आज चौथा दिन है। पिछले दिनों में हमने कई ऐलान किए। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के जरिए लोगों को राहत दी गई। एमएसएमई, एनबीएफसी के लिए ऐलान किए।
डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर से लोगों को बहुत फायदा हुआ। जीएसटी, आईबीसी जैसे सुधारों से फायदा हुआ। ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिए कई कदम उठाए। सरकारी बैंकों से जुड़े सुधार किए।
इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रकर के लिए भी कोशिश शुरू हो चुकी हैं। लैंड बैंक बनाने में तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ेंगे। भविष्य के लिए 5 लाख हेक्टेयर जमीन की मैपिंग की जाएगी।

कोल सेक्टर

यहां रेवेन्यू शेयर के आधार पर कमर्शियल माइनिंग की जरूरत है। भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े कोल भंडारण क्षमता वाले देशों में शामिल है। कोयला खदान की नीलामी के नियम आसान बनाएंगे। 50 नए कोयला ब्लॉक्स उपलब्ध करवाए जाएंगे।
कोल माइनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
पारदर्शी ऑक्शन के जरिए 500 माइनिंग ब्लॉक उपलब्ध करवाए जाएंगे।
एल्युमिनियम इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए बॉक्साइट और कोल ब्लॉक्स का जॉइंट ऑक्शन किया जाएगा।
मिनरल इंडेक्स बनाया जाएगा। स्टांप ड्यूटी में राहत दी जाएगी।

रक्षा

सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों की जरूरत है। डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स से सलाह कर धीरे-धीरे कुछ हथियारों के इंपोर्ट पर रोक लगाएंगे। क्वालिटी का ध्यान रखते हुए घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाएंगे।
डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग में ऑटोमेटिक रूट से एफडीआई लिमिट 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी।
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का कॉपोर्रेटाइजेशन किया जाएगा। कॉपोर्रेटाइजेशन का मतलब प्राइवेटाइजेशन नहीं समझा जाए।
एयरस्पेस मैनेंजमेट और एयरपोर्ट्स

एयरस्पेस का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। इससे एयरलाइंस को ईंधन और समय की बचत होगी। पीपीपी के आधार पर 6 नए एयरपोर्ट की नीलामी की जाएगी।
देश के एयरपोर्ट पर सुविधाएं बढ़ेंगी। एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया को 2300 करोड़ रुपए का डाउन पेमेंट किया जाएगा।
एयरस्पेस बढ़ाने से एयरलाइंस को 1000 करोड़ रुपए का सालाना फायदा होगा।
एयरपोर्ट प्राइवेटाइजेशन के पहले चरण में 12 हवाई अड्डों में 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा।

पावर डिस्ट्रीब्यूशन

बिजली के क्षेत्र में बदलाव होंगे। उपभोक्ताओं को उनके अधिकार मिलेंगे। डिस्कॉम को पर्याप्त बिजली उपलब्ध करवानी होगी। बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को सुविधाओं के आधार पर चुना जाएगा।
बिजली कंपनियों को समय पर पैसा मिले, इसका ध्यान रखा जाएगा। स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाए जाएंगे। केंद्र शासित राज्यों में डिस्कॉम के निजीकरण के कदम उठाए जा रहे हैं, इससे सर्विस में सुधार होगा।
सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए 8100 करोड़ दिए जाएंगे। 30% वायवैलिटी गैप फंडिंग के आधार पर यह रकम दी जाएगी।

अंतरिक्ष

अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश ने बहुत अच्छा काम पिछले सालों में किया है। इसमें प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल किया जाएगा।
भविष्य की योजनाओं में प्राइवेट सेक्टर को मौका दिया जाएगा, ताकि उन्हें बराबरी का अधिकार मिले।
निजी कंपनियों को इसरो की सुविधाएं दी जाएंगी, ताकि वे अपनी क्षमताएं बढ़ा सकें।
स्टार्टअप ईकोसिस्टम को न्यूक्लियर सेक्टर से जोड़ेंगे।
18 लाख करोड़ रुपए का हिसाब

पहले पैकेज में 7.35 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
जानकारी के मुताबिक पहला पैकेज 25 मार्च को प्रधानमंत्री ने 1,70,000 करोड़ रुपए का जारी किया था। उसके बाद अगले दिन से आरबीआई ने कई चरणों में घोषणा की। यानी प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले कुल 7,35,000 करोड़ रुपए के पैकेज जारी किए गए। इसमें 1.70 लाख करोड़ रुपए का प्रधानमंत्री का पैकेज था। जबकि आरबीआई ने बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 5,65,200 करोड़ रुपए की घोषणा अलग-अलग दिनों में की थी।

दूसरे पैकेज में 5.94 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
दूसरा पैकेज वित्तमंत्री ने बुधवार को जारी किया। यह 5,94,250 करोड़ रुपए का पैकेज था। इस पैकेज में एसएमई के लिए लोन, कोलैटरल, डेट और इक्विटी आदि मिलाकर कुल 3,70,000 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। इसी तरह ईपीएफ के लिए 9,250 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। एनबीएफसी, एचएफसी, एमएफआई यानी गैर बैंकिंग, हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस के लिए 75,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी दी गई। डिस्कॉम यानी बिजली कंपनियों के लिए इसी दिन 90,000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई। जबकि टीडीएस, टीसीएस के रिडक्शंस पर 5,000 करोड़ रुपए घोषित किए गए।

तीसरे पैकेज में 3.16 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
गुरुवार को तीसरे पैकेज में 3,16,000 करोड़ रुपए जारी किए गए। इसमें पीडीएस के लिए 3,500 करोड़ रुपए, मुद्रा योजना के तहत शिशु लोन के लिए 1,500 करोड़ रुपए, स्पेशल क्रेडिट फैसिलिटी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 5,000 करोड़ रुपए, सीएएमपीए के लिए 6,000 करोड़ रुपए, नाबार्ड के लिए 30,000 करोड़ रुपए, क्रेडिट किसान कार्ड के लिए 2 लाख करोड़ रुपए, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के लिए 70,000 करोड़ रुपए जारी किए गए।

चौथे पैकेज में 1.55 लाख करोड़ रुपए जारी हुए
शुक्रवार को चौथे पैकेज के चरण में 1,55,000 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई। इसमें प्रमुख रूप से एग्रीकल्चर इंफ्रा को मजबूत करने पर जोर दिया गया। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए की घोषणा की गई। जबकि पशुपालन के लिए 15,000 करोड़ रुपए, टाप टू टोटल के लिए 500 करोड़ रुपए जैसी अन्य घोषणाएं की गई। इस तरह से देखा जाए तो आत्मनिर्भर भारत के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज से 18 लाख करोड़ रुपए आ चुका है। अब केवल 2 लाख करोड़ रुपए बचा है, जिसकी घोषणा शनिवार को की जा सकती है। यह 20 लाख करोड़ रुपए भारत की जीडीपी का 10 प्रतिशत है।