बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में अगवा किए गए एक पुलिसकर्मी को उसकी पत्नी नक्सलियों के चंगुल से छुड़ा लाई। गोरना मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते वक्त नक्सलियों ने 4 मई को उसका अपहरण कर लिया था। इसके बाद 11 मई की रात नक्सलियों ने जनअदालत लगाई। सूचना मिलने पर पुलिसकर्मी की पत्नी अपनी बेटी को लेकर वहां पहुंच गई, इस दौरान उन्होंने जवान के पुलिस की नौकरी छोड़कर खेती- बाड़ी करने आश्वासन दिया। वहीं, ग्रामीणों ने भी दबाव बनाया, इसके बाद पुलिसकर्मी को उसकी पत्नी और बेटी के साथ नक्सलियों ने जाने दिया।
सुकमा के जगरूगुंडा निवासी संतोष कट्टम पुलिस विभाग में इलेक्ट्रीशियन है और भोपालपट्नम में पदस्थ है। छुट्टी लेकर वह बीजापुर आया था और लॉकडाउन के कारण फंस गया। संतोष 4 मई को गोरना मंदिर में लगे मेले के दौरान दर्शन के लिए गया था, जहां से नक्सलियों ने उसका अपहरण कर लिया। मंदिर दर्शन के बाद वह बाहर अपने दोस्त का इंतजार कर रहा था, इसी बीच ग्रामीण वेशभूषा में मौजूद नक्सलियों को उस पर शक हुआ। तलाशी के दौरान उसके पास मिले आईकार्ड से पहचान हुई तो नक्सली उसकी आंखों में पट्टी बांधकर साथ ले गए।
7 दिन जंगलों में घुमाते रहे नक्सली, फिर जनअदालत लगाई
संतोष कट्टम को लेकर नक्सली सात दिनों तक जंगलों में घुमाते रहे। इस दौरान उसकी हाथ बंधे रहते और आंखों पर पट्टी होती। खाने में चिड़िया का मांस और सूखी मछली दी गई। इसके बाद सोमवार को जन अदालत लगाई गई। इसकी सूचना कहीं से संतोष की पत्नी सुनीता को लगी तो वह बेटी को लेकर गांव में पहुंच गई। जनअदालत में 2 घंटे तक संतोष के साथ सवाल-जवाब किए गए। नक्सलियों ने आश्वस्त होने के बाद संतोष को उसकी पत्नी सुनीता कट्टम और बेटी भावना कट्टम के सामने छोड़ दिया।