जयपुर। हंदवाड़ा एनकाउंटर में शनिवार रात को सेना की 21 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के कमांडिंग आफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा समेत 5 जवान शहीद हो गए। कर्नल शर्मा की पत्नी ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि पति देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए। उनकी शहादत पर आंसू नहीं बहाऊंगी। देश के लिए कुर्बान होना सम्मान की बात है, यह उनका फैसला था, इसका पूरा सम्मान करूंगी।’ वहीं, उनकी बेटी बोली कि आखिरी बार 1 मई को पापा से बात हुई तो उन्होंने कहा था कि आपरेशन खत्म कर घर लौटूंगा।
कर्नल शर्मा मूलत: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। बड़े भाई पीयूष शर्मा की नौकरी जयपुर में लगने के बाद पूरा परिवार यहां आ गया। बुलंदशहर के परवाना गांव में उनका घर और जमीन है। जयपुर में उनकी पत्नी पल्लवी और बेटी तमन्ना के अलावा बुजुर्ग मां, भाई-भाभी और एक बहन भी हैं। बड़े भाई पीयूष अजमेर रोड पर जयसिंहपुरा में सेलिब्रेशन विला में रहते हैं, जबकि कर्नल की पत्नी पल्लवी और बेटी वैशाली नगर इलाके में रंगोली गार्डन में रहती हैं। यहीं, उनके ससुराल के लोग भी रहते हैं। आशुतोष के परिजन को रविवार सुबह उनकी शहादत की खबर मिली।
एनकांउटर में कर्नल आशुतोष के शहीद होने की खबर मिलते ही एकबारगी परिवारवालों की आंखें छलक पड़ीं। लेकिन, फिर उन्होंने खुद को संभाला। मीडिया से बातचीत में शहीद कर्नल की पत्नी पल्लवी ने कहा, ‘आर्मी ज्वाइन करने के बाद से आशु का पैशन और ड्रीम सिर्फ उनकी यूनिफार्म थी। ऐसे में कोई उनकी शहादत पर अफसोस जताए, यह सही नहीं है। आशु ने आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान जो किया यह उनका निर्णय था। हमें उनके निर्णय का सम्मान करना पड़ेगा। वे देश के लिए शहीद हुए हैं। इसलिए हमारी आंखों में गम के आंसू नहीं हैं। हमें उनकी शहादत पर गर्व है।’
‘आखिरी बार 28 फरवरी को उधमपुर में हुई थी मुलाकात’
पल्लवी ने कहा, ‘आखिरी बार 1 मई को आशुतोष से बात हुई थी। तब मैंने 21 आरआर की 26वीं वर्षगांठ पर विश करने के लिए उन्हें फोन किया था, उसके बाद वह आॅपरेशन में चले गए थे। उनकी व्यस्तता की वजह से बहुत बात करने का वक्त नहीं मिलता था। वे बस इतना ही कहते थे कि अपना ख्याल रखना। उनको इस साल जून में हंदवाड़ा में दो साल पूरे होने वाले थे। मैं आखिरी बार उनसे 28 फरवरी को उधमपुर में मिली थी। इसके बाद हमारी सिर्फ फोन पर बात हुई थी।’
बेटी बोली- आखिरी बार पापा से 1 मई को बात हुई थी। उन्होंने कहा था, आॅपरेशन से लौटकर कॉल करूंगा।
‘रात को कॉन्टेक्ट नहीं हुआ, तभी महसूस हो गया था कि कुछ सही नहीं हो रहा’
पल्लवी ने कहा, ‘कहीं ना कहीं कल रात से ही अंदेशा था कि चीजें बहुत अच्छी नहीं हो रही हैं, क्योंकि उनसे (आशुतोष) कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा था। हमारी शादी को 16 साल हो गए हैं। इतने सालों में आर्मी की ड्यूटी में पता चल जाता है कि अगर कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा है तो मतलब है कि वे किसी आॅपरेशन में हैं। तब चिंता भी होती है।’
बड़े भाई ने कहा- जयपुर आएगी पार्थिव देह, यहीं होगा अंतिम संस्कार
आशुतोष के भाई पीयूष शर्मा ने कहा, ‘हमारा भाई देश के लिए शहीद हुआ, यह गर्व की बात है। आशुतोष एक जांबाज अफसर थे। देशभक्ति और वीरता उनकी रग-रग में थी। आशुतोष ने कहा था कि जिस दिन आपरेशन पूरा हो जाएगा। उसके अगले दिन फ्लाइट पकड़कर घर आ जाऊंगा। आशुतोष की पार्थिव देह सोमवार को जयपुर पहुंचेगी। यहीं उनको मुखाग्नि दी जाएगी। हमारा गांव बुलंदशहर में है। माताजी बुजुर्ग हैं, आशुतोष की बच्ची भी छोटी है। ऐसे में कोरोना की वजह से जयपुर से करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर दूर गांव जाकर अंतिम संस्कार नहीं कर सकते।’
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा की पत्नी पल्लवी शर्मा, उनकी बुजुर्ग मां और आशुतोष के बड़े भाई पीयूष शर्मा।
मां ने कहा- दो दिन पहले बात हुई थी, तब उसने कहा था हंदवाड़ा घुमाऊंगा
शहीद कर्नल आशुतोष की मां ने भावुक होते हुए कहा, ‘मेरी जिंदगी आधी रह गई। मेरा एक ही बेटा रह गया है। वह मुझसे कहता था कि मां हंदवाड़ा घुमाऊंगा। दो दिन पहले आखिरी बार बात हुई थी। मां आपको यहां बुलाऊंगा। अभी कोई जरूरी काम में लगा हुआ हूं। वह रोजाना फोन करता था। जहां भी पोस्टिंग होती थी। वहां जरूर लेकर जाता था।’
21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग आॅफिसर थे कर्नल आशुतोष
शहीद कर्नल आशुतोष 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग आॅफिसर थे, जो कई मिशन का हिस्सा रहे। सेना ने बताया कि उन्होंने मुठभेड़ के दौरान दो आतंकियों को मार गिराया। शहीद होने वालों में कर्नल आशुतोष के अलावा, मेजर अनुज, सब इंस्पेक्टर शकील काजी, एक लांस नायक और एक राइफलमैन शामिल हैं। मुठभेड़ हंदवाड़ा के छाजीमुल्लाह गांव में शनिवार दोपहर 3 बजे शुरू हुई थी। कर्नल आशुतोष को पिछले साल दूसरी बार सेना मेडल मिला था।