चंडीगढ़। 26 घंटे तक कोरोनावायरस के संक्रमण से लड़ने वाली 6 महीने की बच्ची ने चंडीगढ़ पीजीआई में गुरुवार दोपहर को दम तोड़ दिया। डॉक्टरों ने बताया कि संक्रमण की पुष्टि के बाद उसे बुधवार सुबह 11 बजे कोरोना वॉर्ड में भर्ती किया गया था। वह बुधवार रात से वेंटिलेटर और ग्लूकोज पर थी। इन्फेक्शन काफी बढ़ गया था, जिसकी वजह से उसे बचाया नहीं जा सका। उसे पीजीआई के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर में दिल में छेद के इलाज के लिए भर्ती किया गया था। इसके बाद उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
अपोलो हॉस्पिटल में 36 दिन चला इलाज
जन्म के वक्त बच्ची का वजन ढाई किलो का था। 6 माह की उम्र होने के बावजूद उसका वजन 3 किलो से आगे नहीं बढ़ा। परिजन उसे जालंधर के अपोलो हॉस्पिटल ले गए, जहां 36 दिन इलाज चला। हार्ट फेलियर की आशंका के बाद उसे पीजीआई रेफर कर दिया। एम्बुलेंस से 9 अप्रैल को उसे लेकर पीजीआई आया। यहां उसके दिल में छेद होने का पता चला और सर्जरी की सलाह दी गई, लेकिन सर्जरी से पहले वह संक्रमित हो गई। बच्ची में बुखार के लक्षण नहीं थे, लेकिन शरीर के अंगों ने रिस्पॉन्स देना बंद कर दिया था। फगवाड़ा की रहने वाली इस बच्ची को मंगलवार को कोरोना संक्रमित पाया गया था।
मां और पिता कोरोना पॉजिटिव नहीं
वेंटिलेटर पर रखी गई बच्ची को मां देखने जाती थी। बच्ची के पिता रामू और उसकी मां दोनों के कोरोना टेस्ट लिए गए, किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है। नानी और नाना का भी टेस्ट हुआ। उनमें भी संक्रमण नहीं पाया गया। सवाल उठ रहा है कि आखिर बच्ची को कोरोना हुआ कैसे?
पीजीआई के 18 डॉक्टर्स समेत 54 कर्मी निगेटिव
बच्ची के संपर्क में आए 18 डॉक्टर, एचए और एक्स-रे टैक्नीशियन समेत 54 कर्मचारियों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। पीजीआई ने बुधवार को ही 18 डॉक्टरों को क्वारैंटाइन कर उन्हें आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती कर दिया था। बाकी स्टाफ की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें भी घर भेज दिया गया।