मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है कि विधानसभा स्पीकर 20 मार्च, शुक्रवार को शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट करवाए। इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन ने मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, जिसे न मानते हुए स्पीकर ने विधानसभा की कार्रवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी थी। इसके खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाटा खटखटाया था, जिनसे अब आदेश दे दिया है। अगले 25 घंटों में साफ हो जाएगा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की मौजूदा सरकार रहेगी या एक बार फिर शिवराज सिंह चौरान का राज लौटेगा। ऐसे में यह जानना अहम हो जाती है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति क्या है? हालांकि तमाम उठापटक के बीच भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही रहे हैं। वहीं कमलनाथ की कोशिश शक्ति परीक्षण को टालने की है। मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीट हैं, जिनमें से दो खाली हैं। उन पर बाद में उपचुनाव होगा। शेष 228 सीटों में से कांग्रेस के बागी 6 मंत्रियों के इस्तीाफे मंजूर कर लिए गए हैं, इस तरह कुल सीटें 222 रह जाती हैं।
6 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं। वहीं भाजपा की संख्या पहले की तरह 107 है। बसपा के 2, सपा के 1 और 4 निर्दलीयों पर भी नजर रहेगी। 222 विधायकों में कांग्रेस के 16 बागी बेंगलुरू में हैं। यदि इनके इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो सदन में कुल संख्या 206 रह जाएगी। इस स्थिति में भाजपा का पलड़ा भारी रहेगी, क्योंकि सरकार बनाने के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी और उसके पास कुल 107 हैं। कांग्रेस के विधायकों का आंकड़ा घटकर 92 रह जाएगा। कुल मिलाकर सभी की नजर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 16 विधायकों पर है जो इस समय बेंगलुरू में हैं। कांग्रेस दावा कर रही है कि वे उसके साथ है और भाजपा ने उन्हें बंधक बना रखा है।