रायपुर। आयकर विभाग की छत्तीसगढ़ में कई गयी छापे की कार्रवाई मोदी सरकार द्वारा पूर्ण बहुमत से आई राज्य सरकार को अस्थिर करने की एक राजनीतिक साजिश है। कार्रवाई के चार दिन बाद भी आयकर विभाग जांच के दौरान प्राप्त किये दस्तावेज और आय की पुख्ता जानकारी नहीं दे सका है, जबकि तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में हुई कार्रवाई के बाद जब्त दस्तावेजों और अघोषित आय की जानकारी तुरंत सार्वजनिक कर दी गयी थी। आयकर विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति एक झूठ का पुलिंदा है, विज्ञप्ति में उल्लेखित अघोषित आय, संपत्तियों की बरामदगी नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ में कार्रवाई के दौरान विभाग को कुछ भी हाथ नहीं लगा है, यह कार्रवाई एक साल में राज्य सरकार द्वारा किये गए विकास के कार्य व राजनीतिक प्रतिक्रिया के तिलमिलाहट स्वरूप की गई है। राज्य सरकार ने केंद्र के लिए चुनौती तैयार की है, जिससे मोदी सरकार घबरा गई है, जिसका जीता जागता प्रमाण आईटी विभाग के ये छापे हैं। केंद्र सरकार के आयकर विभाग ने विज्ञप्ति में बरामदगी का उल्लेख कर खुद को बचाने का प्रयास किया है, क्योंकि 200 से अधिक अफसरों ने चार दिन तक छत्तीसगढ़ में डेरा डाले रहा, जिन्हें आखिर में कुछ भी हाथ नहीं लगा।