राजिम। छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोकमंच कलाकार पद्मश्री ममता चंद्राकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में चिन्हारी कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्य मंच पर दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंडवानी, भजन, राऊत नाचा, लोकमंच आदि की प्रस्तुति दी गई। छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोकमंच कलाकार पद्मश्री ममता चंद्राकर ने अपने चिर-परिचित अंदाज में चिन्हारी कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। पद्मश्री ममता ने विवाह गीत के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसी के साथ अगली प्रस्तुति कर्मा सुने बर आबे… जिंदगी के नईये ठिकाने लहर गंगा ले लेबे जोड़ी… तोर मन कैसे लागे राजा…. परदेशी के मया बिन चारे… आम तरी डोला उतार ले… तोर मया के बोली खातिर…. मैं होंगेव दीवानी रे के साथ… आदि गीतों ने सभा बांधे रखा। अंत में गौरा गौरी गीत की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के दौरान दर्शकदीर्घा में उपस्थित महिला झुपने लगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की गौरवशाली पंडवानी गायन रितु वर्मा के द्वारा महाभारत युद्ध के समय भीम के द्वारा दुर्योधन के जांघ उखाड़ने के प्रसंग पर प्रस्तुति दी गई। उनकी इस प्रस्तुति और व्याख्यान को सुनकर दर्शकों को सामने महाभारत के युद्ध एकाएक सामने आने लगे उनकी इस ओजपूर्ण और वीररस से भरपूर पंडवानी से दर्शक भी इस प्रसंग आनंदपूर्वक आनंद लिये।