राजनांदगांव। इनकाउंटर विशेषज्ञ और गातापार थाना प्रभारी निरीक्षक लक्ष्मण केवट को पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री अवार्ड दिया जाएगा, यह अवार्ड नक्सलियों को मारने और बड़ी मुठभेड़ जैसे साहसी कार्यों पर दिया जाता है। गणतंत्र दिवस पर रायपुर में होने वाले मुख्य समारोह में राज्यपाल अनसुइया उइके के हाथों उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। टीआई केंवट अब तक 41 हार्डकोर नक्सलियों को मार चुके हैं। साल 2014 से 2019 के बीच उन्होंने 100 से अधिक नक्सली आपरेशन का नेतृत्व किया है, इनमें 25 सफल मुठभेड रही। केंवट या यह चौथा राष्ट्रपति पुरस्कार है जो छत्तीसगढ़ में किसी पुलिस अधिकारी को अब तक नहीं मिला है। राजनांदगांव जिले में छह मुठभेड़ में वे 13 नक्सलियों को मार चुके हैं। गातापार थाना प्रभारी 34 साल के लक्ष्मण केवट को जनवरी 2016 बीजापुर के बासागुड़ा के जंगलों में हुई मुठभेड़ में नक्सलियों से भीड़कर थाना बचाने और कई हथियारबंद नक्सलियों को मारने के लिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा। रविवार को रायपुर में आयोजित समारोह में राज्यपाल अनसुइया उइके के हाथों लक्ष्मण सम्मानित होंगे। राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री सम्मान देश के बड़े वीरता सम्मानों में से एक है, इससे पहले भी चार अलग-अलग राष्ट्रपति वीरता सम्मान लक्ष्मण को मिल चुके हैं। लक्ष्मण ने बताया कि 2007 में आरक्षक के पद पर उन्होंने पुलिस की नौकरी की शुरूआत की थी। 2011 में राज्य में नक्सली हिंसा बढ़ रही थी तब सरकार ने एक स्कीम के तहत कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को एक परीक्षा के बाद सीधे इंस्पेक्टर बनाने का निर्णय लिया लेकिन शर्त यह रखी की पास होने वाले कर्मियों को अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नौकरी करनी पड़ेगी।
परीक्षा को पास करने के बाद लक्ष्मण को बीजापुर के आवापल्ली और भैरमगढ़ जैसे गहन जंगल वाले इलाके में भेज दिया गया जहां हेलीकाफ्टर से सिपाहियों का आना-जाना होता था। बीजापुर के इसी इलाके से लक्ष्मण ने नक्सलियों से लोहा लेना सीखा और तीन साल तक यहां रहकर कुल 19 मुठभेड़ में 28 नक्सलियों को मौत के घाट उतारा। सितंबर 2017 में लक्ष्मण को जिले के गातापार थाने का इंस्पेक्टर बनाया गया जिसमें छह बड़ी मुठभेड़ में 13 नक्सलियों को मारा जिनमें दो डीवीसी मेंगर भी थे।
लक्ष्मण और उनकी टीम ने पिछले आठ सालों में जीते डेढ करोड़ के इनाम
लक्ष्मण और उनकी टीम ने पिछले आठ सालों में सौ से अधिक मुठभेड़ की है। जिनमें 41 नक्सलियों की बॉडी पुलिस के हाथ लगी है जबकि कई नक्सली गोली लगने के बाद भी हाथ नही आए। इन सभी नक्सलियों को मारने के लिए लक्ष्मण और उनकी टीम को कुल डेढ करोड़ रुपए के करीब इनाम मिल चुके हैं। लक्ष्मण मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन के विस्तार को रोकने के लिए प्रयासरत हैं, साथ ही लक्ष्मण नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भी काम कर रहे हैं। भारत सरकार के सीनियर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार पिछले दिनों नक्सल विरोध कार्यशाला के समापन में राजनांदगांव पहुंचे थे। जब उन्हें लक्ष्मण के विषय में पता लगा तो उन्होने भी लक्ष्मण को शाबाशी दी। नक्सलियों के एमएमसी जोन को बढ़ने से रोकना पहली प्राथमिकता मानी जा रही है। जिसमें लक्ष्मण की अहम भूमिका हो सकती है, यही कारण है कि जिले के एक छोर पर नक्सल आपरेशन का पूरा कमान लक्ष्मण के हाथों में दी गई है। लक्ष्मण ने बताया कि अब उनका एकमात्र लक्ष्य ही मुठभेड़ कर नक्सलियों को मारना है। उनका लक्ष्य 100 नक्सलियों को ढेर करना है साथ ही राज्य के जो लोग भ्रमित होकर नक्सल बन रहे हैं, उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना भी है। लक्ष्मण का कहना है कि जब तक उनकी सांसे चलती रहेगी, तब तक वह जंगली इलाकों में ही नौकरी करना चाहते हैं।