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30-31 अक्टूबर की मध्यरात्रि से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बने

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नई दिल्ली। लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर 30-31 अक्टूबर की मध्यरात्रि से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं। 5 अगस्त को संसद ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35अ हटाने का फैसला लिया था। वहीं जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर बांटने का फैसला भी किया था। केंद्र सरकार ने फैसले को लागू करने के लिए देश की आजादी के बाद 560 रियासतों के भारतीय संघ में विलय में अहम भूमिका अदा करने वाले सरदार पटेल की जयंती को अहम बदलाव के लिए चुना। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जीसी मुर्मू और लद्दाख में आरके माथुर को उपराज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया है। लद्दाख के उपराज्यपाल के तौर पर माथुर ने शपथ ले ली है। आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से कई चींजें बदल जाएंगी। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब तक 111 सीटें थीं, इनमें से 4 सीटें लद्दाख की थीं। अब इनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अब 107 सीटें होंगी। कुल 83 सीटों के लिए चुनाव होंगे, जबकि दो सीटें मनोनयन के जरिए भरी जाएंगी। 24 सीटें अब भी पीओके के लिए आरक्षित रहेंगी। अब तक यहां विधानसभा और विधानपरिषद दोनों थे, लेकिन अब यहां सिर्फ विधानसभा का ही अस्तित्व होगा। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जीसी मुर्मू को उपराज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया है। लद्दाख में अब कोई विधानसभा नहीं होगी। यहां कुछ हद तक चंडीगढ़ जैसी व्यवस्था लागू की गई है। यहां लोकसभा की एक सीट होगी, स्थानीय निकाय होंगे, लेकिन विधानसभा की व्यवस्था नहीं होगी। राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल यहां व्यवस्था संभालेंगे और संवैधानिक मुखिया होंगे। लद्दाख के पहले उपराज्यपाल नियुक्त किए गए आर के माथुर ने आज शपथ ले ली है।